अनुशासन सम्बन्धी विशेष नियम

  1. प्रत्येक छात्र के पास परिचय-पत्र का होना आवश्यक है। जिसे परिसर में कभी भी मांगा जा सकता है। परिचय-पत्र के खोने की दशा में निर्धारित प्रक्रिया द्वारा परिचय-पत्र की प्रतिलिपि मुख्य शास्ता से प्राप्त कर लें।
  2. जिन छात्रों की गतिविधियां शास्ता मण्डल/विश्वविद्यालय प्रशासन की राय में अवांछनीय है उन्हें प्रवेश लेने से वंचित किया जा सकता है, निष्कासित किया जा सकता है तथा उनका प्रवेश निरस्त किया जा सकता है
  3.  महाविद्यालय परिसर में हड़ताल करने अथवा किसी भी हड़ताल को समर्थन देने वाले विद्यार्थी को अनुशासनभंग का दोषी माना जायेगा ऐसा विद्यार्थी नियमानुसार महाविद्यालय से स्वतः एवं तथ्यतः निष्कासित हो जायेगा।
  4. दुराचरण एवं उद्दण्डता के दोषी विद्यार्थी भी नियमानुसार दण्ड के भागी होंगे।
     मुख्य शास्ता-श्रीमती हिमानी नेगी

रैगिंग एक कानूनी अपराध
परिसरों में रैगिंग को माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने संज्ञेय अपराध की श्रेणी में स्थापित किया है। रैगिंग एक असमाजिक, आपराधिक एवं अमानवीय कृत्य है जिसे हर दशा में रोका जाना चाहिए। इस आपराधिक कृत्य को समूल नष्ट करने के उद्देश्य से इसमें संलिप्त विद्यार्थियों के विरुद्ध कठोर दण्डात्मक कार्रवाई की जाती है। इसमें ढाई लाख रु0 तक का अर्थदण्ड भी सम्मिलित है। इसमें दोषी पाये जाने पर विद्यार्थियों के विरुद्ध रैगिंग समिति अपराध की गम्भीरता को देखते हुये निम्नलिखित कार्यवाही कर सकती है।
1. प्रवेशार्थी का प्रवेश निरस्त किया जाना ।
2. महाविद्यालय से निष्कासन/निलम्बन किया जाना।
3. किसी अन्य संस्थान में प्रवेश लेने से वंचित किया जाना।
4. प्रदत्त शैक्षिक सुविधाओं की वापसी।
5. अपराध की प्रवृति के अनुसार मुकदमा चलाया जाना।

रैगिंग का तात्पर्य
माननीय उच्चतम न्यायालय के पत्र सं0 310/04/ ए0आई0ए0, दिनांक 26 फरवरी, 2009 तथा मार्च, 2009 को दृष्टिगत रखते हुये यू0जी0सी0 एवं कुलाधिपति महामहिम राज्यपाल, उत्तराखण्ड शासन के निर्देशानुसार महाविद्यालय में भी एक रैगिंग निरोधक समिति ¼Anti
Ragging Committee) 
 एवं रैगिंग निरोधक दस्ता (Anti Ragging Squad)  का गठन किया जाता है जो कि महाविद्यालय परिसर में रैगिंग संबंधी किसी भी प्रकार की गतिविधि पर सख्ती से नजर रखती है तथा ऐसी घटना पर कठोरतम कार्यवाही हेतु सबल संस्तुति भी प्रदान करती ळें